रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर डी सुब्बाराव ने वित्तवर्ष 2012-13 की मौद्रिक नीति 17 अप्रैल 2012 को घोषित कर दिया. आरबीआई ने रेपो, रिवर्स रेपो और बैंक रेट 0.5 प्रतिशत कम कर दिए.
रेपो दर 8.5 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 7.5 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया. रिवर्स रेपो और बैंकों के लिए माइक्रो लोन की स्थायी सुविधा पर भी ब्याज में 0.5 प्रतिशत की कटौती की गई. नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया. यह दर 4.75 प्रतिशत है. सीआरआर जनवरी 2012 में दो बार कम किया गया था.
रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए फौरी उधार की सुविधा (एमएसएफ) का स्तर दोगुना कर दिया है. इससे बैंकों को केंद्रीय बैंक को उनके डिपॉजिट का दो प्रतिशत तक माइक्रो लोन उपलब्ध होगा.
आरबीआई ने वित्तवर्ष 2012-13 में विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जबकि बजट 2012-13 में यह अनुमान 7.6 प्रतिशत का है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों की गोल्ड लोन कंपनियों में एक्सपोजर की सीमा 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत की है. इससे बैंक गोल्ड लोन कंपनियों को कम कर्ज दे सकेंगे.
रिजर्व बैंक ने वित्तवर्ष 2012-13 में आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है, जबकि मार्च 2013 तक महंगाई दर 6.5 प्रतिशत के करीब रह सकती है.
मार्च 2010 से अक्टूबर 2011 के बीच लगातार 13 बार अपनी प्रमुख दरें बढ़ाने के बाद रिजर्व बैंक ने देश की विकास की गति में आ रही सुस्ती को दूर करने के लिए इन दरों में कटौती की.
लाभ: रिजर्व बैंक के कदम के बाद बैंक होम लोन पर ब्याज दरें 0.5 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं. एसबीआई, आईडीबीआई, आईसीआईसीआई सहित सभी प्रमुख बैंक ब्याज दरें 0.5 प्रतिशत तक घटा सकते हैं.
यदि बैंक ब्याज दरों में 0.5 प्रतिशत की कटौती करे तो 20 वर्ष की अवधि वाले होम लोन पर प्रति एक लाख रुपए पर हर माह 34 रुपए बचेंगे. 20 साल की अवधि वाले 20 लाख रुपए के होम लोन की मासिक किस्त पर हर माह 680 रुपए बचेंगे. 20 साल की अवधि वाले 30 लाख रुपए के होम लोन की किश्त में 1,020 रुपए की बचत.
रेपो रेट: वह दर, जिस पर रिजर्व बैक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि कर्ज देता है.
रिवर्स रेपो रेट: वह दर, जिस पर बैंक रिजर्व बैंक के पास अपना पैसा रखते हैं.
रेपो दर 8.5 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 7.5 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया. रिवर्स रेपो और बैंकों के लिए माइक्रो लोन की स्थायी सुविधा पर भी ब्याज में 0.5 प्रतिशत की कटौती की गई. नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया. यह दर 4.75 प्रतिशत है. सीआरआर जनवरी 2012 में दो बार कम किया गया था.
रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए फौरी उधार की सुविधा (एमएसएफ) का स्तर दोगुना कर दिया है. इससे बैंकों को केंद्रीय बैंक को उनके डिपॉजिट का दो प्रतिशत तक माइक्रो लोन उपलब्ध होगा.
आरबीआई ने वित्तवर्ष 2012-13 में विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जबकि बजट 2012-13 में यह अनुमान 7.6 प्रतिशत का है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों की गोल्ड लोन कंपनियों में एक्सपोजर की सीमा 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत की है. इससे बैंक गोल्ड लोन कंपनियों को कम कर्ज दे सकेंगे.
रिजर्व बैंक ने वित्तवर्ष 2012-13 में आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है, जबकि मार्च 2013 तक महंगाई दर 6.5 प्रतिशत के करीब रह सकती है.
मार्च 2010 से अक्टूबर 2011 के बीच लगातार 13 बार अपनी प्रमुख दरें बढ़ाने के बाद रिजर्व बैंक ने देश की विकास की गति में आ रही सुस्ती को दूर करने के लिए इन दरों में कटौती की.
लाभ: रिजर्व बैंक के कदम के बाद बैंक होम लोन पर ब्याज दरें 0.5 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं. एसबीआई, आईडीबीआई, आईसीआईसीआई सहित सभी प्रमुख बैंक ब्याज दरें 0.5 प्रतिशत तक घटा सकते हैं.
यदि बैंक ब्याज दरों में 0.5 प्रतिशत की कटौती करे तो 20 वर्ष की अवधि वाले होम लोन पर प्रति एक लाख रुपए पर हर माह 34 रुपए बचेंगे. 20 साल की अवधि वाले 20 लाख रुपए के होम लोन की मासिक किस्त पर हर माह 680 रुपए बचेंगे. 20 साल की अवधि वाले 30 लाख रुपए के होम लोन की किश्त में 1,020 रुपए की बचत.
रेपो रेट: वह दर, जिस पर रिजर्व बैक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि कर्ज देता है.
रिवर्स रेपो रेट: वह दर, जिस पर बैंक रिजर्व बैंक के पास अपना पैसा रखते हैं.
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