इंग्लैण्ड के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर जीवन से संबंधित तीन वर्ष के अनुसंधान के बाद यह निष्कर्ष दिया की अत्यधिक शुष्क होने के कारण मंगल ग्रह पर किसी भी तरह का जीवन संभव नहीं है. वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी पानी जरूर था लेकिन इसे 60 करोड़ वर्ष के सूखे का सामना करना पड़ा. इस कारण यहां जीवन की संभावना समाप्त हो गई. मंगल ग्रह के लिए वर्ष 2008 के नासा फोएनिक्स मिशन के दौरान एकत्रित मिट्टी का इम्पीरियल कालेज लंदन द्वारा विश्लेषण किया गया. विश्लेषण में यह पाया गया कि मंगल ग्रह की मिट्टी में नमी बिल्कुल भी नहीं है. साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया कि मंगल ग्रह पर करीब पांच हजार वर्ष तक पानी रहा होगा लेकिन जीवन के लिए सतह पर स्वयं को स्थापित करने के लिए यह बहुत कम समय है. नासा फोएनिक्स मिशन और इम्पीरियल कालेज लंदन के संयुक्त अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि मंगल ग्रह की मिट्टी भी चंद्रमा जैसी शुष्क परिस्थिति में ही बनी है. चूंकि चांद पर भी कभी जीवन नहीं था इसलिए मंगल पर भी किसी भी प्रकार का जीवन नहीं होने की पूरी संभावना है.
नासा फोएनिक्स मिशन के तहत इस अध्ययन के लिए मिट्टी का नमूना मंगल ग्रह के बर्फीले उत्तरी आर्कटिक क्षेत्र से लिया गया था.
नासा फोएनिक्स मिशन के तहत इस अध्ययन के लिए मिट्टी का नमूना मंगल ग्रह के बर्फीले उत्तरी आर्कटिक क्षेत्र से लिया गया था.
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