Friday, April 06, 2012

डाकघरों की एमआईएस और पीपीएफ बचत योजनाओं में ब्याज की दर 0.5 प्रतिशत तक बढ़ी

केंद्र सरकार ने बचत योजनाओं को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाने के उद्देश्य से डाकघरों में जमा की जाने वाली राशि पर ब्याज की दर 0.5 प्रतिशत बढ़ा दी. मासिक आय योजना (एमआईएस) और लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) जैसी लोकप्रिय बचत योजनाओं में ब्याज की दर 0.5 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई. इस बढोत्तरी के बाद एमआईएस की ब्याज दर 8.5 प्रतिशत जबकि पीपीएफ की ब्याज दर 8.8 प्रतिशत हो गई.

एक और दो वर्ष की जमा योजनाओं में प्रत्येक पर ब्याज दर में 0.5 प्रतिशत वृद्धि कर इसे क्रमशः 8.2 और 8.3 प्रतिशत कर दिया गया. डाकघर की तीन वर्ष की सावधि जमा पर ब्याज दर 8 से बढ़ाकर 8.4 प्रतिशत और पांच वर्ष की जमा पर 8.3 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत कर दी गई. पांच वर्ष की आवृति जमा पर अब 8 के बजाय 8.4 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा. वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याज दर 9 से बढ़ाकर 9.3 प्रतिशत कर दी गई है. पांच और दस वर्ष के राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) पर 8.6 प्रतिशत के बजाय 8.9 प्रतिशत ब्याज देय होगा. पांच वर्ष की मासिक आय योजना में भी ब्याज दर 8.2 से बढ़ाकर 8.5 प्रतिशत कर दी गई.

गोपीनाथ समिति की सिफारिशों के अनुरूप केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बचत योजना (एनएससी) में दीर्घावधि के कोष को आकर्षित करने के लिए इसकी परिपक्वता अवधि 10 साल कर दी है. साथ ही पीपीएफ में वार्षिक निवेश सीमा को भी 70000 रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया. डाक घर बचत खाते के चार प्रतिशत की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया. नई ब्याज दरें एक अप्रैल, 2012 से लागू होंगी जो वर्ष 2012-13 के लिए वैध होंगी.

डाकघर द्वारा संचालित इन लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में वृद्धि श्यामला गोपीनाथ समिति की सिफारिशों के अनुरूप की गई है. समिति ने लघु बचतों पर ब्याज दर को बाजार के अनुरूप रखने की सिफारिश की थी. दिसंबर 2011 में ब्याज दरों में बढोत्तरी का निर्णय श्यामाला गोपीनाथ समिति की सिफारिशों के अनुरूप किया गया था. समिति ने सुझाव दिया था कि लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को बाजार से संबद्ध किया जाए. और छोटी बचत योजनाओं में वार्षिक आधार पर संशोधन किया जाए.

लघु बचत योजनाओं में संशोधन का मकसद इनको बैंकों की सावधि जमा (एफडी) योजनाओं की तरह आकर्षक बनाए रखना है.

No comments:

Post a Comment