भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक दर को साढ़े तीन प्रतिशत बढ़ाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा यह निर्णय 14 फरवरी 2012 को लिया गया और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी अधिसूचना में बताया कि बैंक दर में बदलाव को मौद्रिक नीति में बदलाव के बजाय नकदी की सीमांत स्थाई सुविधा (marginal standing facility) दर के अनुकूल बनाने के लिए एक बार में किए गए तकनीकी समायोजन के तौर पर देखा और समझा जाना चाहिए.
NOTE:- बैंक दर वह दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को लंबे समय का वाणिज्यिक कर्ज देता है. पहले इसी के आधार पर बैंकों की ब्याज दर तय होती थी. अब इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो दर का इस्तेमाल करता है. बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से कम अवधि (मसलन कुछ घंटे से 15 दिन) के लिए रेपो रेट पर ही कर्ज लेते हैं.
बैंक दर का महत्व मौद्रिक नीति के उपाय के तौर पर खत्म हो गया है, क्योंकि अब रेपो दर को ही मुख्य नीतिगत ब्याज दर बना दिया गया है. रिवर्स रेपो और एमएसएफ अब इस दर से क्रमश: एक प्रतिशत कम और एक प्रतिशत ऊपर रखे जाते हैं.
NOTE:- बैंक दर वह दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को लंबे समय का वाणिज्यिक कर्ज देता है. पहले इसी के आधार पर बैंकों की ब्याज दर तय होती थी. अब इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो दर का इस्तेमाल करता है. बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से कम अवधि (मसलन कुछ घंटे से 15 दिन) के लिए रेपो रेट पर ही कर्ज लेते हैं.
बैंक दर का महत्व मौद्रिक नीति के उपाय के तौर पर खत्म हो गया है, क्योंकि अब रेपो दर को ही मुख्य नीतिगत ब्याज दर बना दिया गया है. रिवर्स रेपो और एमएसएफ अब इस दर से क्रमश: एक प्रतिशत कम और एक प्रतिशत ऊपर रखे जाते हैं.
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